बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

जितना बड़ा आँचल हुआ

जितना बड़ा आँचल हुआ उतना समान आया 
बांटा  जितना नेह हमने ,उतना ही मान पाया -

बहे लोर  नैन जितना,  टूट  अपने तलाशे हैं 
खेरू- खेरू जींद ,विचों  अपना भी नाम आया -

सोचा न किसने अपना,  दामन छुड़ाया वीर 
गुमनाम राहों ने भी, आखिर मुकाम पाया -

उदय वीर सिंह 

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