उन्नयन (UNNAYANA)
रविवार, 18 दिसंबर 2016
टुकड़ों में जीवन कितना ....
टुकड़ों में जीवन कितना
सिया भी करो -
प्याला भरा प्रीत का
पिया भी करो -
काँटों के दर्द से मायूस होते क्यों
खुशियों की आश में
जिया भी करो -
पत्थर न होते तो घर भी न होते वीर
शीशे रोशनी के जानिब
चुना भी करो -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
प्रवीण पाण्डेय
ने कहा…
सुन्दर भाव
18 दिसंबर 2016 को 9:37 pm बजे
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सुन्दर भाव
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