मैं अपनी गीतों का सबब छोड़ जाऊँगा।
जिये मेरा भारत तो मैं रब छोड़ जाऊंगा।
अजमत वतन की मेरे दिल में सिर्फ इतनी है,
अपने वतन को छोड़ सब छोड़ जाऊँगा।
चाहूंगा रखना मैँ प्रीत की दीवारों को
साँझी विरासत का मैँ दर छोड़ जाऊँगा।
देखी दिखाई अपनी गलियां रकीबों की,
अमन की हिफाजत में अदब छोड़ जाऊंगा।
दर्द के दयारों में सवालों की दुनियां है,
जवाबों के जानिब अपनी हद छोड़ जाऊंगा।
उदय वीर सिंह।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें