आस बने विस्वास बनें ,
बिगड़े न कभी वह बात बने ,
प्रखरित होते दिनकर के ,
स्वर्णिम बेला का प्रभात बनें ---
मुस्कान बिखरती जाएगी ,
फूलों की तरह , कलियों की तरह,
गीत मधुरतम बिखरित होगी ,
लता की तरह ,कोयल की तरह ---
ताल बनें जीवन -लय का ,
मधुर मनोरम साज बनें --
कंटक -पथ भी सज जाते
ले , कर में फूलों की माला ,
तूफान , बदलते पथ अपना ,
गिरिवर की देखी जब शाला ---
संधान करें ,कर चयन लक्ष्य ,
चुके न सर ,वो कमान बनें --
हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह --
मान बने , सम्मान बनें ,
अमृत रस की बरसात बनें --
संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों कीतरह ,अश्कों की तरह --
वैधव्य नहीं हो घूँघट में ,
माथे की वह सौगात बनें ---
आँचल में संजोये ,स्नेह -निधि ,
हर - लोक बहे , सागर डूबे,
संचय इतना, बस छलक मात्र ,
अस्तित्व वैर , का डोल उठे ,
संस्कार बनें , सुविचार बने,
घट - अमृत की दात बनें --
* चंचल नैन ,उदय मन भाए
यादों की बारात बनें --
उदय वीर सिंह .
१५/०६/०११
मुस्कान बिखरती जाएगी ,
फूलों की तरह , कलियों की तरह,
गीत मधुरतम बिखरित होगी ,
लता की तरह ,कोयल की तरह ---
ताल बनें जीवन -लय का ,
मधुर मनोरम साज बनें --
कंटक -पथ भी सज जाते
ले , कर में फूलों की माला ,
तूफान , बदलते पथ अपना ,
गिरिवर की देखी जब शाला ---
संधान करें ,कर चयन लक्ष्य ,
चुके न सर ,वो कमान बनें --
हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह --
मान बने , सम्मान बनें ,
अमृत रस की बरसात बनें --
संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों कीतरह ,अश्कों की तरह --
वैधव्य नहीं हो घूँघट में ,
माथे की वह सौगात बनें ---
आँचल में संजोये ,स्नेह -निधि ,
हर - लोक बहे , सागर डूबे,
संचय इतना, बस छलक मात्र ,
अस्तित्व वैर , का डोल उठे ,
संस्कार बनें , सुविचार बने,
घट - अमृत की दात बनें --
* चंचल नैन ,उदय मन भाए
यादों की बारात बनें --
उदय वीर सिंह .
१५/०६/०११
11 टिप्पणियां:
सुन्दर भाव से सजी सुन्दर रचना
आँचल में संजोये ,स्नेह -निधि ,
हर - लोक बहे , सागर डूबे,
संचय इतना, बस छलक मात्र ,
अस्तित्व वैर , का डोल उठे ,
संस्कार बनें , सुविचार बने,
घट - अमृत की दात बनें --
वाह भाई वाह , ज्ञानवर्धक कविता .
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
कुछ चिट्ठे ...आपकी नज़र ..हाँ या ना ...? ?
bahut hi sunder shabdon main likhi bhavmai rachanaa.badhaai.
please visit my blog.thanks.
हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह ..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति Uday जी।
संधान करें ,कर चयन लक्ष्य ,
चुके न सर ,वो कमान बनें --
....सार्थक सन्देश देती बहुत प्रेरक ओजमयी प्रस्तुति..आभार
sundar geet.
@ "संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों की तरह ,अश्कों की तरह!"
वाकई दिल को छू गयी आपकी ये पंक्तियाँ. आभार. मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई .
सुंदर लिखा है आपने मन प्रफ़ुल्लित हो गया
हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह --
मान बने , सम्मान बनें ,
अमृत रस की बरसात बनें --
संयोग - वियोग तो होते हैं ,
डाली की तरह ,फूलों की तरह ,
टूट गए फिर कहाँ मिले ,
आँखों कीतरह ,अश्कों की तरह --
Too much lovely and impressive. Thanks for such type sensitive expression.
हृदय धड़कता रहता है ,
कुछ कहता है अपनों की तरह ,
वरण करो , हिय नेह लिए ,
ये जीवन है सपनों की तरह ..सुन्दर भाव से सजी सुन्दर रचना
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