जीवन की चादर लगे दाग कितने
लगाये किसी ने ,धुलाये किसी ने ,
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दर्द से आशिकी के फ़साने बहुत हैं ,
छुपाये किसी ने ,दिखाए किसी ने -
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अँधेरी रातें , अंधेरों में दीपक ,
जलाये किसी ने ,बुझाये किसी ने-
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मोड़ भी हैं बहुत ,रास्ते भी बहुत ,
मंजिल कहाँ है बताये किसी ने-
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राहों में अनजान कितने पड़े थे ,
गिराए किसी ने, उठाये किसी ने-
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बागों में सुन्दर खिले फूल कितने,
सजाये किसी ने उगाये किसी ने-
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उदय वीर सिंह
07/12/2012
4 टिप्पणियां:
बहुत प्यारी गज़ल....
सीधी सरल...दिल को छूती...
सादर
अनु
बहुत ही सुन्दर रचना..
बहुत सुन्दर रचना!
अँधेरी रातें , अंधेरों में दीपक ,
जलाये किसी ने ,बुझाये किसी ने-
अदभुत भाव सुंदर प्रस्तुति.
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