झूठ पैगाम का हिस्सा बन जाएगा।
लुटेरा किताबों में फरिश्ता बन जाएगा।
खुले जख़्मों पर नमक छिड़कने वाला
एक दाग़दार कैसे बिरसा बन जायेगा।
वाकिफ़ न था अपना घर रौशन करके,
अंधेरों से दुश्मनी का रिश्ता बन जायेगा
दब कर रह जाएगा गहराईयों में इतनी,
सत्य समाज का एक किस्सा बन जायेगा।
गूंगा बहरा हो जाएगा अपने हिसाब से
फरेब पत्थर कभी शीशा बन जायेगा।
उदय वीर सिंह।
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