बुधवार, 15 नवंबर 2023

उदास नहीं होता...








..........✍️

मूर्ख को निज मूर्खता का अहसास नहीं होता।

विद्वता पर कदाचित उसे विस्वास नहीं होता।

ढूंढता है चटख उजालों में गहन अंधेरा अक्सर

किये निज पापों का कभी पश्चाताप नहीं होता

काटता है उसी  डाल को जिसपर बैठा होता है

जलाकर अपना घर  किंचित उदास नहीं होता।

काग़जी  नाव से किनारा पाने का खूब कौतुक

खड़ा हो जमीन पर कहता आकाश नहीं होता।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: