जिंदगी में जवाब कम , सवाल ज्यादा हैं ,
दर्द देना अब बड़ी शख्शियत की निशानी है
समाज में रिजवान कम ,कसाब ज्यादा हैं-
लुट के पैरोकारों ने ,पनाह दी लुटेरों को ,
जब खुद हो गए शिकार,हरकत में सरकार,
आवाम का कम , उनका दर्द ज्यादा है -
जूतियों को पर लगते हैं उड़ने के लिए ,
दिल को रौंदते हुए, भरते हैं उडान
जमीन थोड़ी, उनका आसमान ज्यादा है -
पीने वाले खून , कभी कुआँ न खोदते,
खोदना खाईयां,उनकी हसरतो- फितरत है ,
नेक बन्दे कम,हैवानों की तादात ज्यादा है-
चुप है आसमान , धरती भी साथ में ,
ख़िताब -ए - दस्तावेज, उनकी हंसी का ,
मुफ़लिसी व दर्द से , वजन ज्यादा है-
मुक्तसर न हुयी गर्दिशें तमाम ,फिर भी ,
हौसलों ने हासिल किया मुकाम,
मौजें बहा ले गयीं मकान,तूफान ज्यादा है -
उदय वीर सिंह .
06 / 09 /2012
7 टिप्पणियां:
hi blognama.feedcluster.com owner found your site via Google but it was hard to find and I see you could have more visitors because there are not so many comments yet. I have found site which offer to dramatically increase traffic to your website http://xrumer-service.com they claim they managed to get close to 4000 visitors/day using their services you could also get lot more targeted traffic from search engines as you have now. I used their services and got significantly more visitors to my site. Hope this helps :) They offer best services to increase website traffic Take care. Jeremy
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (08-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
मुक्तसर(मुख़्तसर ) न हुयी गर्दिशें तमाम ,फिर भी ,
हौसलों ने हासिल किया मुकाम,
मौजें बहा ले गयीं मकान,तूफान ज्यादा है - वतन में अब ईमान कम बे -ईमान ज्यादा हैं ....क्या बात है भाई साहब सलामत रहो देश में अब रिजवान कम कसाब ज्यादा हैं .
शुक्रवार, 7 सितम्बर 2012
शब्दार्थ ,व्याप्ति और विस्तार :काइरोप्रेक्टिक
बहुत सही है
आवाम का कम , उनका दर्द ज्यादा है -
देश को शतरंज बनाने में आमादा है
आदमी अब आदमी कहां बस प्यादा है !
वाह ! दिल की गहराईयों से निकले शब्द..
बहुत सुंदर
क्या बात
शब्दों के माध्यम से बहुत गहरी बात कही है।
एक टिप्पणी भेजें