मेरा प्रणाम
कह देना ......-
कह देना .......
मित्र- पथ में , न मिला साथ अपनों का ,
शत्रु - पथ की वीथियों में हो गयी शाम ...
कह देना ....
दीप जले ,परवाने आतुर मिटने को ड्योढीयों पर
प्रतीक्षा नहीं सूरज की, डराता नहीं तापमान ,
कह देना .......
निकले आंसू , भरोषा भी साथ बह गया ,
प्रछन्नता घन की तिरोहित रह गया आसमान
कह देना .....
विपन्नता है क्यों ईतनी विशालता के धरातल में ,
फूलों के साथ ही आता है ,काँटों का भी नाम,
कह देना .....
वेदना के अंशुमान को मिलती नहीं छाँव कहीं,
बोई है बेल आधार बनने को,स्नेह जिसका नाम ,
कह देना ......
उदय वीर सिंह
कह देना ......-
जल गए हैं पांव , अग्नि - पथ पर
चलते - चलते , न पाई कहीं छाँवकह देना .......
मित्र- पथ में , न मिला साथ अपनों का ,
शत्रु - पथ की वीथियों में हो गयी शाम ...
कह देना ....
दीप जले ,परवाने आतुर मिटने को ड्योढीयों पर
प्रतीक्षा नहीं सूरज की, डराता नहीं तापमान ,
कह देना .......
निकले आंसू , भरोषा भी साथ बह गया ,
प्रछन्नता घन की तिरोहित रह गया आसमान
कह देना .....
विपन्नता है क्यों ईतनी विशालता के धरातल में ,
फूलों के साथ ही आता है ,काँटों का भी नाम,
कह देना .....
वेदना के अंशुमान को मिलती नहीं छाँव कहीं,
बोई है बेल आधार बनने को,स्नेह जिसका नाम ,
कह देना ......
उदय वीर सिंह
12 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति..
सादर
अनु
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
शुभकामनायें ||
फूलों के साथ ही आता है ,काँटों का भी नाम,
कह देना .....
गहन और बहुर सुंदर अभिव्यक्ति ...उत्कृष्ट रचना ..आभार
बड़े ही सुगढ़ भाव से कहा है आपने..
वेदना के अंशुमान को मिलती नहीं छाँव कहीं,
बोई है बेल आधार बनने को,स्नेह जिसका नाम ,
कह देना ......
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
sundar bhavabhivykti
बहुत सुन्दर रचना!
शेअर करने के लिए आभार!
बढ़िया प्रस्तुति |
इतने सुंदर भाव से कहा है
क्यों नहीं कहेंगे जरूर कह देंगे !
utkrisht lekhan ek behtareen udaahran hai ye rachna.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति बहुत पसंद आई
बहुत खूब ...
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