शनिवार, 20 जनवरी 2024

रहजनों के हवाले सफर ..


 








रहजनों के हवाले...✍️

जानवर  से हुए आदमी धीरे- धीरे।

आदमी हो गया जानवर धीरे- धीरे।

ख़बर थी मोहब्बत से दुनियां भरेगी,

नफ़रत  के  बादर  घिरे  धीरे -धीरे।

वसीयत में थी सच्च की बादशाहत,

झूठ की आग में वो जली धीरे-धीरे।

सफ़र की निजामत सदर के हवाले,

रहजनों के हवाले सफ़र धीरे- धीरे।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: