मंगलवार, 16 जनवरी 2024

काल कैसा होगा..






 

कल कैसा होगा....✍️

टूटी परंपरा टूटते मिथकों का
का कल कैसा होगा।
जब हवा घुली विष तत्वों संग
तत परिमल कैसा होगा।
पाखंड दम्भ छल ईंटों की जो
रंगशाला निर्मित होगी,
पग सांकल मर्यादा संस्कारों के,
फिर उत्सव कैसा होगा।
मृग मरीचिका को मीठा जल
कब तक माना जायेगा,
सागर से लौटी सरिता का वीर
बोलो जल कैसा होगा।
पंचों की आंखों को जब दिखते
अपने और पराए हों,
हरिया और हरनाम  के मसलों
का हल कैसा होगा।
उदय वीर सिंह।

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