बुधवार, 31 जनवरी 2024

गमलों में बरगद...


 








गमलों में बरगद..✍️

घर उजाला तब हुआ जब दीपक जलाया मैंने।

रोशनी तब देखी जब पलकों को उठाया मैंने।

इफरात  थीं खुशियां ख्वाबो नींद के सफ़र में,

मंजिल तब पाया जब कदमों को चलाया मैंने।

खून - पसीने की रोटी कोई कहानी लगती  थी

मोल  तब  जाना जब अपनी रोटी कमाया मैंने।

बरगद  गमलों  में उगा  देख  हंसा था हाकिम

फटी रह गयी आंखें जब बगीचे में लगाया मैंने।

उदय वीर सिंह।

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