सुनता ,
हृदय की पीर ,
याचना,करुण- क्रंदन
विवसता ,संताप ,
अभिशप्त जीवन-गाथा ,
वो शब्दकोष जो गढ़े गए ,
निहितार्थ दमन ,षडयंत्र ,मर्दन के ..
फूंकता प्राण !
दिशाहीन, विक्षिप्त -जीवन ,
मनुष्यता की क्षत-विक्षत शरीरमें
दे संवेदना आत्मबल ,
भरता हुकार !
तोड़ बंध,पाखंड ,अन्याय जुल्म का ..
ले ज्ञान का खंजर ,
ध्वस्त करता,
पाशविक परंपरा ,
झूठे दंभ ,अभिमान को ..../
लिए प्रज्ञा का यशस्वी आसमान,
अंशुमान !
कभी - कभी ,
गुरु नानक
आता है ....
- उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
सबको जीवन का मोल बता गये जो।
गुरुवर को सादर नमन ||
वाकई , सुंदर रचना
कभी - कभी ,
गुरु नानक
आता है ....
शिक्षाप्रद और उत्साहवर्धक प्रस्तुति.
बधाई.
तोड़ बंध,पाखंड ,अन्याय जुल्म का ../
ले ज्ञान का खंजर ,
ध्वस्त करता,
पाशविक परंपरा ,
झूठे दंभ ,अभिमान को ..../
उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें,,,,,
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