लौट आने के बाद ....
न थी मेरी सिफारिश न पैरोकार कोई
जश्न ख़त्म होने के बाद मैं याद आया -
इंतजार में था मैं, सुबह से कतार में
लौट आने के बाद ,मेरा नाम आया-
ग़मों के पैरहन में मैं उन्हें अच्छा लगा
उम्दा - खयाली का मुझे इनाम आया -
मेरी गुरबती पर हंसी अच्छी लगती है
माँगा था पानी,मगर हाथ में जाम आया -
- उदय वीर सिंह
न थी मेरी सिफारिश न पैरोकार कोई
जश्न ख़त्म होने के बाद मैं याद आया -
इंतजार में था मैं, सुबह से कतार में
लौट आने के बाद ,मेरा नाम आया-
ग़मों के पैरहन में मैं उन्हें अच्छा लगा
उम्दा - खयाली का मुझे इनाम आया -
मेरी गुरबती पर हंसी अच्छी लगती है
माँगा था पानी,मगर हाथ में जाम आया -
- उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
वाह बहुत सुंदर ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज गुरुवारीय चर्चा मंच पर ।। आइये जरूर-
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